बवासीर में क्या होता है-Bawasir Me Kya Hota Hai

आज हम आपको बताएंगे कि Bawasir Me Kya Hota Hai. इस लेख में हम Bavasir के बारे में एक बेहतर जानकारी देने जा रहे है। Bawasir एक ऐसी जटिल बीमारी है जिसमें लेट्रिन के रास्ते में अंदर की ओर तथा उसके आसपास सूजन आ जाती है। बवासीर या पाइल्स की समस्या पेट और पाचन क्रिया की खराबी से होने वाली बीमारी है। यदि गुदा द्वार के अंदर की नशें सूज कर फट जाएं तो एक एक जटिल समस्या बन जाती है। नशों के सूजने से गुदा के मुंह में एक टीशू जमा होने लगता है। जिसके कारण मल त्याग करने में बहुत कठिनाई होने लगती है। अधिक कब्ज और सख्त मल त्याग के कारण बवासीर की समस्या बढ़ जाती है।


मलाशय और मलमार्ग के रास्ते में होने वाले फोड़ों को भी बवासीर का रूप माना जाता है। पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रोजमर्या की जिंदगी में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बवासीर होने के कई कारण होते हैं। लेकिन बवासीर में जो मलत्याग करने की क्रिया में समस्या होती है, वह एक आम समस्या ही है। क्योंकि हमारे देश में पांच प्यक्तियों में से तीन को किसी ना किसी उम्र में बवासीर हो ही जाती है। परंतु आप के लिए यह एक अच्छी खबर है कि बवासीर का इलाज आसानी से हो जाता है। आधुनिक चिकित्सा में तो इसका इलाज आपरेशन के द्वारा और आसान हो चुका है। अगर आयुर्वेद की बात करे तो आयुर्वेद में घरेलू उपचार करके भी बवासीर की समस्या से छुटकारा लिया जा सकता है।

पाइल्स को इंग्लिश में हेमोराइड (Hemorrhoids in Hindi) भी कहा जाता है। बवासीर मुख्य रूप से दो तरह की होती है- खूनी बवासीर तथा बादी बवासीर। Bavaseer की शुरुआत में कई बार बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को यह पता ही नहीं चल पाता है कि उस व्यक्ति को हेमोराइड या बवासीर है। जब बवासीर के लक्षण बढ़ने लगते हैं, तब जाकर व्यक्ति को यह एहसास होता है कि उन्हें बवासीर की बीमारी है। लोगों में ऐसी बीमारियों की समझ को और बढ़ाने तथा बीमारियों के प्रति अधिक जागरूक करने के लिए यह वेबसाइट एक स्पेशल सीरीज लेकर आई है। इस सीरीज की शुरुवात में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, bavasir kya hota hai और bavasheer की शुरुआत कैसे होती है? आइए विस्तार से इस गंभीर बीमारी के बारे में जानते हैं।

बवासीर क्यों होता है?


बवासीर की बीमारी में आपके गुदा के अंदर या उसके आस पास में मस्से बन जाते हैं, जिनकी वजह से मल त्याग करते समय वो मस्से फूटते हैं, जिससे ब्लीडिंग होने लगती है और दर्द की समस्या बढ़ जाती है। यदि किसी व्यक्ति को कब्ज अधिक रहता है तो उसे शौच करते समय अधिक जोर लगाने की आवश्यकता होती है। ज्यादा जोर लगाने से गुदा में बने मस्से, गुदा से बाहर आने लगते हैं, जिस वजह से मरीज की हालत पहले से गंभीर होने लगती है। Bavasir एक ऐसी बीमारी है जिसकी शुरुआती स्टेज में मरीज को कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। परंतु इसके बाद जैसे ही यह समस्या दूसरी स्टेज में पहुंचती है, तो बवासीर से पीड़ित व्यक्ति की परेशानियां बहुत अधिक बढ़ने लगती हैं। बवासीर की बीमारी ज्यादातर उन लोगों में होती है जिन लोगों को कब्ज की समस्या अक्सर बनी रहती है और पेट हमेशा खराब रहता है। जो व्यक्ति नियमित असंतुलित खानपान या बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन करते हैं उन्हें ऐसी गंभीर बवासीर की समस्या का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा जो लोग बहुत ज्यादा देर तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं या बहुत अधिक देर तक खड़े रहते हैं, उन लोगों को भी बवासीर होने का खतरा रहता है। मोटापे की समस्या से ग्रसित व्यक्ति में बवासीर होने का खतरा सामान्य वजन वाले व्यक्ति की तुलना में ज्यादा रहता है। अभी तक आपने जाना कि Bawasir Me Kya Hota Hai. और Bavasir Kaisa Hota Hai. अब आप जानेंगे कि Bawaseer होने का कारण क्या है?

बवासीर होने के कारण


पेट में कब्ज रहना, बवासीर का एक प्रमुख कारण में से एक है। कब्ज होने पर मल सूखा और कठोर हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को मल त्यागने में बहुत अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहने के कारण गुदा द्वार की रक्त वाहिनियों पर अधिक जोर पड़ता है, जिसके कारण वह फूलकर बाहर की ओर लटक जाती हैं। जिन्हे बवासीर का मस्सा कहा जाता है।
कब्ज और पेट खराबी से जुड़ी समस्याओं के कारण।
लैट्रिन में बहुत ज्यादा देर तक बैठने के कारण।
आनुवांशिक कारणों की वजह से भी बवासीर होना।
बवासीर के प्रमुख कारणों में वसा का अधिक सेवन भी एक जिम्मेदार कारण है।
बहुत ज्यादा देर तक एक ही जगह पर बैठकर काम करने के कारण-बहुत से लोगों को अपनी जॉब नेचर के कारण कई घंटों तक खड़े रहना पड़ता है, जिससे लंबे समय तक खड़े रहने से भी बवासीर होने का खतरा बना रहता है।
प्रसव (डिलीवरी) के दौरान अधिक दबाव गुदा पर होने के कारण।
शौच के समय बहुत ज्यादा ताकत लगाने के कारण।
आजकल शारीरिक गतिविधि की कमी भी एक कारण है बवासीर होने का।
धूम्रपान और शराब के अत्यधिक सेवन करने से भी बवासीर होने की दर तेज हो जाती है।
बहुत ज्यादा तला-भुना और मसालेदार चटपटा भोजन का खाने के कारण।
ठीक से पेट क्लियर न होना और फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना भी बवासीर उत्पन्न होने का एक कारण है।
भारी वजन उठाना भी बवासीर होने का एक अच्छा कारण हो सकता है।
लिवर से जुड़ी किसी जटिल बीमारी के कारण।
अधिक मोटापे की समस्या के कारण।

यदि आयुर्वेद की बात करे तो आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा जाता है। वात, पित्त और कफ तीनों दोषों के उत्पन्न होने की वजह से ही बवासीर होता है। यही कारण है कि बवासीर को आयुर्वेद में त्रिदोषज रोग भी कहा जाता है। कुछ लोगों में देखा गया है कि बवासीर की समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। परंतु इसके अन्य कारण होते हैं।
बवासीर के तेज दर्द में तुरंत आराम के लिए क्या करें?
इप्सम साल्ट और ग्लिसरीन को तीन तीन चम्मच लेकर आपस में मिलाएं और गुदा के प्रभावित जगह पर 15-20 मिनट तक लगा रहने दें। यह घरेलू उपचार भयानक बवासीर के दर्द को कम करने में मदद करता है। इससे सूजन और दर्द दोनों में आराम मिलता है।

बवासीर की समस्या को चार स्टेज में बांटा गया है। बवासीर की समस्या के ग्रेड


ग्रेड 1
इस स्टेज में मरीज की गुदा नलिका में बवासीर की समस्या की शुरुआत होती है। परंतु इस स्टेज में मरीज को बवासीर के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है, जिससे मरीज को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। ग्रेड 1 स्टेज की बवासीर में मरीज को शौच के समय थोड़ी समस्या महसूस हो सकती है।
ग्रेड 2
जब मरीज में बवासीर की समस्या ग्रेड 2 स्टेज में पहुंचती है, तो मरीज के शरीर में कुछ लक्षण दिखने शुरू होने लगते हैं। इस स्टेज की स्थिति में मरीज को मल त्याग करते समय थोड़ी ब्लीडिंग होना स्टार्ट हो जाती है और बवासीर के मस्से, गुदा नलिका से बाहर की तरफ आने लगते हैं।

ग्रेड 3
जब मरीज की समस्या ग्रेड 3 स्टेज में पहुंचती है, तो मरीज को बवासीर की कई गंभीर समस्याओं का सामना एक साथ करना पड़ता है। इस स्टेज में मरीज को शौच करते समय गुदा नलिका से बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है। चूंकि मस्सों के बाहर पहले से ही आ जाने से मालत्याग के रास्ते में गंभीर दर्द होने लगता है।
ग्रेड 4
जब बवासीर अपनी ग्रेड 4 स्टेज में पहुंचती है तो इस स्थिति में बवासीर मरीज की हालत बेहद गंभीर हो चुकी होती है। इस स्टेज में मरीज को बहुत अधिक इन्फेक्शन, गंभीर दर्द और तेज ब्लीडिंग की समस्या होने लगती है। ग्रेड 4 स्टेज में मस्से बाहर निकलकर फूट चुके होते हैं। जिससे मरीज का काफी ब्लड निकल जाता है और मरीज को अत्यधिक कमजोरी महसूस होने लगती है।

Bawasir के प्रकार – Type of Piles in Hindi


बवासीर साधारणतया: दो प्रकार का होता है दोनों ही प्रकार के बवासीर में पीड़ित व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां होती हैं –

एक्सटर्नल बवासीर या बाह्य बवासीर –


इस प्रकार की बवासीर गुदा मार्ग यानी मल नलिका के आसपास की त्वचा के नीचे होता है।
इंटरनल पाइल्स या आंतरिक बवासीर –
बवासीर का यह प्रकार व्यक्ति के मलाशय अर्थात रेक्टम में मौजूद होता है। इस प्रकार की बवासीर को देखा या महसूस नहीं किया जा सकता है। इसमें मल त्याग के दौरान दर्द नहीं होता है परंतु ब्लीडिंग होती है।

पाइल्स के लक्षण – Symptoms of Piles in Hindi


बवासीर होने पर पीड़ित मरीज को मलत्याग करते समय अनेक गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बवासीर के मरीज़ में कुछ लक्षण दिखाई और महसूस होते हैं जो निम्न हैं-

शौच के समय तेज दर्द और ब्लीडिंग।
गुदा नलिका में गंभीर दर्द।
गुदा द्वार में सूजन और खुजली की समस्या।
गुदा नलिका में गांठ का बनना।

बाह्य बवासीर और आंतरिक बवासीर में अंतर:


एक्सटर्नल पाइल्स


एक्सटर्नल बवासीर में पीड़ित व्यक्ति को ब्लीडिंग का अनुभव होता है।
एक्सर्टनल बवासीर में गुदा नलिका या मल मार्ग के आसपास सूजन हो जाती है।
एक्सर्टनल बवासीर काफी हद तक कष्टदायक और असुविधाजनक होती है।
एक्सर्टनल बवासीर में गुदा द्वार के आसपास खुजली और जलन महसूस होती है।


इंटरनल पाइल्स


इंटरनल बवासीर में गुदा में सूजन होती है।
इंटरनल बवासीर में गुदा के पास गांठ जैसी महसूस होने लगती है।
इंटरनल बवासीर में कई बार गंभीर दर्द भी होने लगता है।
कई ऐसे मामले भी होते है जिसमे इंटरनल बवासीर के दौरान दर्द रहित ब्लीडिंग होने लगती है।
इस प्रकार की पाइल्स में बार-बार मल त्यागने की इच्छा होने लगती है लेकिन मल निकलता नहीं है।

शरीर में बवासीर की शुरुआत कैसे होती है-Piles Starting Symptoms in Hindi?

  1. एनस में खुजली होना-Itchy anus
    जब बवासीर की शुरुआत होती है तो सबसे पहले खास कर कि आंतरिक बवासीर में मलाशय में खुजली की समस्या प्रारंभ होती है। इसका मुख्य कारण एनस में मांशपेशियों का जमा होना होता है। ऐसे में अगर आपको लगे कि आपके मलाशय में खुजली ज्यादा होने लगी है और बराबर हो रही है तो आपको यह समझ जाना चाहिए की डॉक्टर को दिखाने का समय आ गया है। इसे डाक्टर को दिखाकर इसकी स्क्रीनिंग जरूर करवाएं। ताकि आप इस घातक बीमारी से बच सकें।
  2. एनस में हल्की जलन और सूजन- Painful swelling or burning sensation in anus
    बवासीर की शुरुआत होने पर मलाशय में लगातार जलन और सूजन स्टार्ट होने लगती है। इसमें मांसपेशियों में सूजन आ जाती है जिससे मलाशय में रह-रह कर तेज जलन होने लगती है। यह सूजन मरीज के लिए भयानक दर्द और परेशानी का कारण बनती है। बवासीर के मरीज को उठने-बैठने में भी परेशानी होने लगती है। ये समस्या आंतरिक बवासीर और बाहरी बवासीर, दोनों के दौरान होती है। ऐसे में तुरंत इन दोनों लक्षणों पर ध्यान देकर इसका इलाज कराना चाहिए, जिससे इसकी गंभीर स्थिति से बचा जा सके।
  3. मल त्याग के दौरान एनस में दर्द- Pain during bowel movements
    यदि आपको मल त्याग करने के समय हमेशा ही दर्द रहता है और कब्ज रहता है। इसमें माल त्याग करते समय मल कड़ा रहता है। तो यह बवासीर होने का एक संकेत हो सकता है। इसके कारण आपको शौच करने, बैठने या चलने पर दर्द हो सकता है। साथ ही मांसपेशियां इतनी ज्यादा सूज जाती हैं कि मल त्याग करने के बारे में सोचकर ही डर की स्थिति बन जाती है।
  4. एनस से म्यूकस डिस्चार्ज होना-Mucous discharge from the anus
    मलाशय से म्यूकस का डिस्चार्ज होना, दोनो में से किसी भी बवासीर का शुरुआती संकेत हो सकता है। दरअसल, म्यूकस तभी डिस्चार्ज होना प्रारंभ होता है जब एनल पर म्यूकस जमा हो कर पस बनना स्टार्ट हो जाता है। इस तरह धीरे धीरे पस बाहर आने लगता है। इस स्थिति में कई बार तेज दर्द भी होने लगता है। इसलिए इस लक्षण को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में डाक्टर का परामर्श जरूर लेना चाहिए।
  5. मल त्याग के साथ खून आना-Bright red blood after poo
    मल त्याग के बाद खून आना भी बवासीर का ही संकेत हो सकता है। ब्लड का आना मलाशय के पास ब्लड क्लॉटिंग की वजह से होता है। साथ ही ये इस बात का भी संकेत करता है कि बवासीर की स्थिति गंभीर हो चुकी है। यह स्थिति मल त्याग करने की प्रक्रिया को और मुश्किल बनाती है। इसलिए मल त्याग के बाद यदि आपको खून आता है तो आपको अपने डॉक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए और इस समस्या का चेकअप कराना चाहिए।
    अब आपको चाहिए की आप बवासीर के उपरोक्त सभी शुरुआती संकेतों को पहचाने। और आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप इसे यहीं पर रोक लें, ताकि यह समस्या आपके शरीर पर हावी न हो सके और आप इस से जल्द से जल्द छुटकारा पा सकें। इसके लिए सबसे पहले आपको चाहिए कि आप अपनी डाइट में हाई फाइबर की मात्रा बढ़ाएं, खूब सारा पानी पिएं और मतलब भर की फिजिकल एक्सरसाइज करें। अपना हमेशा के लिए ये उद्देश्य बना ले कि आपको कब्ज से बचना है।

Bavasir का घरेलू इलाज – Home remedies for Piles


बवासीर के लिए बहुत सारे घरेलू उपाय मौजूद हैं। उनमें से एक बहुत महत्वपूर्ण हल्दी भी रखती है। हल्दी को अनेकों गुणों की खान माना जाता है। हल्दी से बवासीर की समस्या में बहुत उपयोगी साबित होती है। ऐसे ही कई अन्य Bawasir Ke Gharelu Upchar हैं, जिनका सेवन करके आप बवासीर में राहत पा सकते हैं।

हल्दी पाउडर और नारियल आयल-Coconut Oil For Piles Treatment


आयुर्वेदिक के अनुसार नारियल का तेल कई तरह की बीमारियों के इलाज में अहम भूमिका रखता है। यदि नारियल के तेल में चुटकी भर शुद्ध हल्दी पाउडर ठीक से मिलाकर बवासीर की जगह पर हल्के हाथों या कॉटन ले लगा लिया जाए तो इसका लाभ आपको आश्चर्चकित कर सकता है। इस के प्रयोग से आपको गुदा के बाहरी हिस्से में होने वाले बवासीर की खुजली में राहत मिल सकती है।

हल्दी पाउडर और एलोवेरा जेल-Aloevera Gel With Haldi


आयुर्वेद में एलोवेरा को उसकी ठंडी तासीर के लिए जाना जाता है। एलोवेरा जेल में आवश्यकता अनुसार हल्दी पाउडर मिलाकर रात में नियमित तौर पर सोने से पहले गुदा मार्ग के बवासीर वाली जगह पर लेप लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस उपाय को कम से कम दो से तीन हफ्तों तक लगातार करना चाहिए।

देसी घी और हल्दी पाउडर है रामबाण इलाज
देसी घी अपने विशेष गुणों के कारण एक विशेष पहचान रखता है। अगर आप नियमित रूप से शुद्ध देसी घी का सेवन करते हैं तो आपको कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। बवासीर की समस्या से निजात पाने के लिए देसी घी में चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर एक विशेष मिश्रण तैयार कर लें और बवासीर वाली जगह पर नियमित रूप से लगाएं। इसे 20 दिनों तक लगाने से बवासीर की समस्या गायब हो जाएगी।

हल्दी पाउडर, बकरी का दूध और काला नमक का प्रयोग
बवासीर की बीमारी से आराम पाने के लिए एक कप बकरी के दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर और आधा चम्मच पिसा शुद्ध काला नमक मिलाकर एक माह तक सेवन करें। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन करेंगे तो कुछ ही दिनों में ही बवासीर में राहत जरूर मिलेगी।

नहाने के टब में हल्दी का प्रयोग
नहाने के टब में दो चम्मच हल्दी मिला लें और फिर उसमें 15 से 20 मिनट के लिए बैठें। यह प्रयोग यदि नियमित तौर पर कुछ दिन तक किया जाता है तो निश्चित तौर पे बवासीर में राहत मिल सकती है।

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